ख़ाकी के पीछे छिपा दृढ़ निश्चय और भोलापन

Bihar

‘ आपको फ़ोटो का बहुत शौक है ना?” इस सवाल का जवाब नहीं मिला, वो बस चेहरे को नीचे करके शर्मा गई।

रविवार को शेरगढ़ जाने वक़्त इनसे मुलाक़ात हुई और हमनें खूब बातचीत की। बातचीत के दौरान मालूम पड़ा कि जून २०२० में ही इनकी पहली भर्ती फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में हवलदार के पद पर हुई है और वो भी पहले ही प्रयास में।

” दीदी, हम ना यहां जून से लेकर अब तक में चार बार आ चुके हैं और मेरे साथ तीन और महिला हवलदार हैं, मगर कोई ऊपर आना नहीं चाहता। हम तो इस जिले के कई जगह पर घूम चुके है तीन महीने के अंदर ही। ” ये बताते हुए निरमा जी एकदम से चहकी। वर्दी की ज़िम्मेदारी में एक अठारह साल की लड़की के अंदर की मासूमियत साफ़ – साफ़ झलक रही थी।

” तो आपको कैसे ख़्याल आया कि चलो पुलिस फोर्स ज्वाइन करते हैं?” मैंने भी बड़े चाव से जानने की कोशिश की।” हम गया के रहने वाले हैं और तीन बहन और तीन भाई में सबसे छोटे हैं, बारहवीं के बाद हम ये सब फॉर्म भरने की कोशिश में लगे थे, थोड़ा दौड़ते थे पहले से तो भैया बोला था कि इसमें दाखिला हो सकता है। कोई तैयारी नहीं किए बस कोशिश किए थे, घर पर डांट भी बहुत सुनने मिला। पापा और चाचा कहते थे कि लड़की के लिए ई सब नौकरी अच्छा नहीं है और हमारी दीदी की तो शादी तेरह साल में ही हो गई थी, तो ये हमारे लिए बस एक ही मौका था ।”

” आपकी कहानी तो एकदम बेजोड़ है, आप अपने आप में एक महिला सशक्तिकरण की पहचान हैं, कहते हुए मैंने उनसे और भी बातचीत शुरू कर दी ।”

” दीदी हमको ना ये पहाड़ पर आना और घूमना बहुते पसंद है, तो हम जब मौका मिलता है ये बाक़ी हवलदार भैया लोग के साथ आ जाते है। डरते नहीं है, अब नौकरी मिला है और साथ में घूमने का मौका भी, आप जैसे नए लोग से मिलते है और फोटो लेते है सबके साथ। हमको अच्छा लगता है सब से बात करना। “

और मुस्कुराते हुए मेरे बगल में अपनी वर्दी ठीक करते हुए आकर खड़ी हो गई और ट्विंकल से कहा, ” दीदी मेरी भी फ़ोटो साथ में खींच दीजिए ना ।”

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